कहानी:-“शेर और भगदड़”मैंने सुना हैं..,
अगर आपको मालूम है,
आप शेर नहीं हो,
तो आप,
क्यों व्यर्थ ही भाग रहे हो ?
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मत करो खुद पर इतना अनर्थ,
करें लो सहर्ष स्वीकार जो तुम हो,
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वरन् जंगल में मचने वाली है भगदड़,
भागना है इस पार या उस ओर,
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कोई नहीं है पूछने वाला ?
क्यों मची है भगदड़ यानि भाग और दौड़,
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कोई तो बताएगा बन समझदार !
शेर को पकड़ने वाले
आ रहे है आज !
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कोई तो कहेगा,
फिर हम
क्यों भाग रहे हैं आज,
जब हम शेर है ही नहीं !!
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अब सिद्ध करो,
तुम शेर नहीं हो,
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इसमें भी लग जाएगा वक्त,
सिद्ध करने में !!
कि तुम नहीं हो शेर,
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यहीं है सदियों से चली आ रही,
धर्म, जाति,राजनीति, व्यवहार की असल
कथा-कहानी,
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डॉ0महेंद्र.