*”ममता”* पार्ट-2
गतांक से आगे. . .
रात को उन्होंने दादाजी को ये बात बताई, हालाँकि दादाजी को भी बात अटपटी लगी मगर वे इसे टाल गए, बात आई गई हो गई. मगर दादीजी ने विशेष ध्यान के साथ गाय की हरकतों का निरिक्षण करने का विचार किया, अगले दिन सुबह जब वे गाय दुहने गए तो उन्होंने देखा कि गाय पहले से ही तैयार खड़ी है, और दिनों की तरह आज वो अपने बछड़े को भी दूध नहीं पीने दे रही है. दादीजी ने दुहते समय महसूस किया कि रोजाना से आज आसानी से दूध आ रहा है. दादीजी गाय को दुह कर खड़े हुए मगर उन्हें ऐसा लग रहा था मानो गाय अभी और दूध देना चाहती है, वे इस गाय की पिछले १० वर्षों से सेवा कर रहे हैं मगर आज तक ऐसा कभी नहीं हुआ जो पिछले २ दिनों से हो रहा है. शाम को जब सरिता बहू गाय दुहने आई तो दादाजी भी घर पर थे, दादीजी ने उसे बाल्टी देते हुए कहा तुम चलो मैं दादाजी को चाय देकर आती हूँ, सरिता बाल्टी लेकर गौशाला की तरफ बढ़ी तो गाय, जो बैठी थी सरिता को देखते ही खड़ी हो गई. सरिता ने कल की तरह बाल्टी रख कर जैसे ही दूध दुहने का प्रयास किया दूध अपने आप आने लगा और देखते देखते बाल्टी भरने लगी.
सरिता जोर से चिल्लाई, तो दादाजी और दादीजी दोनों भागे हुए आये. उन्होंने जो नजारा देखा तो सन्न रह गए, बाल्टी भर चुकी थी, मगर गाय के थनों से दूध अब भी निकल रहा था. दादीजी ने झट से बाल्टी हटाई तो जैसे चमत्कार हो गया हो, थनों से दूध आना बंद हो गया, सबने देखा ऐसा लग रहा था मानो इतना दूध देकर गाय को ख़ुशी मिल रही थी. घर आकर सरिता ने राजेश को ये बात बताई तो उसने इस बात को एक मजाक समझ कर टाल दिया. पुरे मोहल्ले में बात फ़ैल गई मगर कोई विश्वास करने को तैयार नहीं था. क्योंकि बड़े बुजुर्गों ने भी ऐसा ना कभी देखा था और ना सुना. अब तो बात कल शाम तक पर आकर रुक गई. देखते हैं कल क्या होगा… क्रमशः…