कहानी प्रेम कि
प्रेम कि कहानी , पुरानी बहुत,
ना जाने किसने,किसको किया,
सबसे पहले प्रेम,
पर हर युग में इसने राज किया ।।
प्रेम के साथ धोखा ने भी साथ,
बसाया घर अपना।
ना जाने कितने बदनाम हुए,
ना जाने उजड़े कितनों के मन,
किसीको जीवन भर का दुःख दिया,
तो सुख किसी को,
यह प्रेम ना जाने कितने नाच नचाए।।
प्रेम के विश्वास पे शबरी ने,
प्रतीक्षा किया राम का जीवन भर।
अपने पिता के प्रेम के खातिर,
देवव्रत बन गया भीष्म,
त्यागें जीवन के सुख सारे,
रहने लगा बनके बैरागी।
इस प्रेम के खातिर,
सहे राधा ने कितना कुछ,
अपहरण अपना ही करवाया रुक्मिणी ने।
इसके ही ताकत पर,
नल दमयंती ने झेला दर्द कितना।
इस प्रेम ने ही मीरा को घर घर पहुंचाया,
इसके चक्कर में ना जाने कितने,
शायर बदनाम हुए।
हैवान बनाया किसीको इसने तो,
किसीको इंसान,
बस दो अक्षर के इस शब्द ने,
अपने इशारों पे नचा रखा पूरे विश्व को।