कहानी “त्रुटि और समाधान”
हर इक समाज का आदमी/हर वर्ग का आदमी थोड़ा असंतुष्ट है क्योंकि जो उससे वादे किए जाते हैं स्वप्न मात्र हैं, वरन् जो अनुदान आजतक जिन श्रेणियों को मिले वो दुरुस्त होने चाहिए थे,
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बचपन मे सुनी हुई कहानी आज शायद इसी पर प्रकाश डालती है,
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एक मशहूर मूर्तिकार द्वारा एक मूर्ति बनवाकर चौराहे पर लगाई गई,
साथ में लिखा गया,
जिसे भी मूर्ति में कोई कमी नज़र आये,
कृपया साथ में रखा गया,
काले पेंट और ब्रुश की मदद से निशान लगाए,
सायं होते होते सारी मूर्ति काली हो गई,
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मूर्तिकार बेचैन नहीं हुआ,
बल्कि युक्ति-पूरक हुबहू ठीक वैसी ही एक मूर्ति उसी चौराहे पर लगा दी,
साथ में आवश्यक सामग्री रखकर दिशानिर्देश दिये गये,
जो भी कमी बताएगा,
सुधार करेगा,
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ताजुब की बात यह रही,
लोगों वही मूर्ति बेहद पसंद आई एवं स्वीकार हुई,
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आजकल बेहद चौकाने वाले तथ्य ये सामने आ रहे है कुछ संगठन इन्हीं आन्दोलन से आ रहे है,
जनता आशा से भर जाती है,
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वे लोग कुछ बिक जाते हैं,
कुछ अपना उल्लू सिद्ध करने में लग जाते हैं,
बात वहीं की वहीं फिर से शुरू हो जाती है,
दुनिया अपराधी को जल्द ही भूला देती है,
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फिर से यकीन करती है,
आशा से भर जाती है,
यह चक्र टूटता नहीं,
अन्तत बात,मुद्दे वहीं के वहीं रहते हैं,
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डॉ0महेंद्र.