कहानियां तो बोध जगाती है, ,पर लोग सो जाते है !
बिल्लियां झगड़ती हैं,
अक्सर
बंदर फैसले कराते है,
कथा और कहानियों में !
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पर बिल्ली जैसा समझदार
जीव खोजना मुश्किल है !
अपने बच्चे को दस घर दिखा कर,
बच्चे को स्वावलंबी बना कर छोड़ देती है !
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बिल्ली हर गुर यानि अटकलें सिखा
देती है !
पेड़ पर चढ़ने वाली अटकल
फिर भी झुपा लेती है !
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लोग बिल्ली और कुत्ते पालते है !
इनके झगड़े की कथा पुरानी है !
लोग सुलह में लगे है !
प्रकृति को बदलने में लगे है !
आत्म-संतुष्टि के प्रयास में लगे है !
भूल है !
हार निश्चित है !
पर अहं को मंजूर नहीं !
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वफादारी में कुत्ते अव्वल है !
सोच बिल्ली की खराब है !
घर में दूध पीने वाले बच्चे के प्रति !
मरने के भाव रखती है !
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कुत्ते वफादार है सिर्फ मालिक पर !
औरों को तो घूरते है !
घूसते है !
काट लेते है !
आज के अहंकारी आदमी को ओर
क्या चाहिए !
संतुष्ट है !
गौरन्वित महसूस करते है !
आदमी का जाया भले भूखा रहे पर
अहंकार की तृप्ति जरूरी है !
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धन्य है विधाता !
धन्य है तेरी रचना !