कहां हो तुम
कहां हो तुम
सरों के मीनार बनाने वालों
लाशों के अंम्बार लगाने वालों
कहां हो तुम
बात बात पर हथियार उठाने वालों
बमों से दुनियां दहलाने वालों
कहां हो तुम
इंसानियत के सर खम करने वालों
मौतों पे ना गम करने वालों
कहां हो तुम
कहां हैं तुम्हारे जोश के उफान
कहां हैं आंधियां वो तूफान
तानाशाही तुम्हारी खा गई तुम्हें
आखिरकार मौत आ गई तुम्हें
कहां हो
मारूफ आलम