कहां हो आजकल नज़र नहीं आते,
कहां हो आजकल नज़र नहीं आते,
हम आपको कितना याद करते हैं,
ये बता नहीं पाते।
हंसी हो गई है गायब हमारी अब तो,
तुम्हारे संग बरसों हुए हंसते हंसाते।
देखो सावन भी आ गया है यहां,
रिमझिम पानी बरसाते।
मन की बात कही नहीं जाती मुझसे,
ठहर जाते हैं शब्द लब पर आते आते।
चले आओ तुम इक बार फिर से,
हम मिलेंगे वहीं तुम्हें झुलफे लहराते।