Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
31 Oct 2022 · 2 min read

कहां है, शिक्षक का वह सम्मान जिसका वो हकदार है।

कहां है शिक्षक का वह सम्मान जिसका वो हकदार है

खुद अंधेरे में रहकर दूसरों को प्रकाशित करना वाला, दूसरों को महत्तम ऊंचाई तक पहुंचाने वाला, ईमानदार निष्पक्षपाती, दूरदर्शी निष्कपट, समाज और देश की दिशा और दशा को बदलने वाला, चरित्रवान दूसरों को बनाने वाला, बिना विरोध व सहज भाव से वे सब कार्य करने वाला जो गैर शैक्षणिक हैं,एक सशक्त, शिक्षित समाज और देश का निर्माण करने वाले शिक्षक को क्या वास्तव में आज वह सम्मान मिल रहा है, जिसका वह वास्तविक हकदार है। तो उत्तर होगा नहीं। आज उस पर कार्य का बोझ इतना लाद दिया है, कि वह स्वतंत्र रूप से कोई कार्य नहीं कर पा रहा, करता भी है, तो डर के साथ। हमें यह कभी नहीं भूलना चाहिए कि एक शिक्षक एक सामान्य व्यक्ति नहीं होता और जो सामान्य व्यक्ति होता है। तो वह शिक्षक नहीं होता। शिक्षक जिसे चाहे बना सकता है, लेकिन कोई भी शिक्षक को नहीं बना सकता इसलिए शिक्षक की किसी दूसरे पद या व्यक्ति से तुलना करना बिल्कुल अनुचित है। जिसका शिक्षक ने निर्माण किया है,वह शिक्षक के बराबर कभी नहीं हो सकता। आज शिक्षक का गैर शैक्षणिक कार्यों के द्वारा और अन्य तरह-तरह से उसका मानसिक और शारीरिक शोषण हो रहा है। अगर ऐसा होता रहेगा तो एक शिक्षक क्या वे सब परिणाम दे पाएगा जिसकी अपेक्षा उससे समाज या देश करता है, यह सोचने का विषय है। एक शिक्षक वह सब कार्य बिना विरोध और खुशी के साथ सहज भाव से करता है, जिसे कोई दूसरा करने से हिचकता है या कर नहीं पाता। टीचर की सैलरी सभी को चुभती है, परंतु उसे जो समाज और देश की जिम्मेदारी सौंपी गई है। जिसके लिए वह बहुत ही परिश्रम, कर्तव्यों के साथ, निस्वार्थ होकर और ईमानदारी के साथ कार्य करता है, वह किसी को दिखाई नहीं देता। अगर हम किसी समाज और देश को विकसित बनाना चाहते हैं, तो जरूरी होगा कि वहां के शिक्षकों को वह सम्मान मिलना चाहिए जिसका वह वास्तव में हकदार है। वर्तमान में ऐसा देखने में आ रहा है कि कहीं ना कहीं उसके सम्मान में कमी आई है, जिसका सीधा असर शिक्षा पर पड़ेगा और हमें वो परिणाम नहीं मिल पायेगा जो हम उससे चाहते हैं।
“दुष्यन्त कुमार” की कलम से

Language: Hindi
5 Likes · 197 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Dushyant Kumar
View all
You may also like:
इस जीवन में हम कितनों को समझ गए,
इस जीवन में हम कितनों को समझ गए,
Ajit Kumar "Karn"
दोस्तों !
दोस्तों !
Raju Gajbhiye
3699.💐 *पूर्णिका* 💐
3699.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
तुम
तुम
Dr.Pratibha Prakash
मैंने, निज मत का दान किया;
मैंने, निज मत का दान किया;
पंकज कुमार कर्ण
अगर आप अपनी आवश्यकताओं को सीमित कर देते हैं,तो आप सम्पन्न है
अगर आप अपनी आवश्यकताओं को सीमित कर देते हैं,तो आप सम्पन्न है
Paras Nath Jha
*पुस्तक समीक्षा*
*पुस्तक समीक्षा*
Ravi Prakash
वो तीर ए नजर दिल को लगी
वो तीर ए नजर दिल को लगी
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
🙏 गुरु चरणों की धूल 🙏
🙏 गुरु चरणों की धूल 🙏
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
"तुम्हें कितना मैं चाहूँ , यह कैसे मैं बताऊँ ,
Neeraj kumar Soni
कलयुग की छाया में,
कलयुग की छाया में,
Niharika Verma
मां तेरा कर्ज ये तेरा बेटा कैसे चुकाएगा।
मां तेरा कर्ज ये तेरा बेटा कैसे चुकाएगा।
Rj Anand Prajapati
दम उलझता है
दम उलझता है
Dr fauzia Naseem shad
मौसम....
मौसम....
sushil yadav
" दर्द "
Dr. Kishan tandon kranti
जिंदगी सीरीज एक जब तक है जां
जिंदगी सीरीज एक जब तक है जां
DR ARUN KUMAR SHASTRI
हिंदी दिवस को प्रणाम
हिंदी दिवस को प्रणाम
Shyamsingh Lodhi Rajput "Tejpuriya"
सरकारों के बस में होता हालतों को सुधारना तो अब तक की सरकारें
सरकारों के बस में होता हालतों को सुधारना तो अब तक की सरकारें
REVATI RAMAN PANDEY
"सुप्रभात"
Yogendra Chaturwedi
हम वो हिंदुस्तानी है,
हम वो हिंदुस्तानी है,
भवेश
नजरें नीची लाज की,
नजरें नीची लाज की,
sushil sarna
प्रेम की पाती
प्रेम की पाती
Awadhesh Singh
मुश्किलों में उम्मीद यूँ मुस्कराती है
मुश्किलों में उम्मीद यूँ मुस्कराती है
VINOD CHAUHAN
गैस कांड की बरसी
गैस कांड की बरसी
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
रमेशराज के वर्णिक छंद में मुक्तक
रमेशराज के वर्णिक छंद में मुक्तक
कवि रमेशराज
■शिक्षक दिवस (05 सितंबर)■
■शिक्षक दिवस (05 सितंबर)■
*प्रणय*
हरसिंगार
हरसिंगार
Shweta Soni
मुबारक़ हो तुम्हें ये दिन सुहाना
मुबारक़ हो तुम्हें ये दिन सुहाना
Monika Arora
सरहद सीमा मातृभूमि का🙏
सरहद सीमा मातृभूमि का🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
Some people are just companions
Some people are just companions
पूर्वार्थ
Loading...