कहां है शांति ?
मंदिर में नहीं ,मस्जिद में नहीं ,
गुरुद्वारे में नहीं ,गिरजाघर में नहीं।
नदी के किनारे और समुद्र के तट पर नहीं,
जंगल में नहीं ,पहाड़ों में नहीं,
घर में नही और घर के बाहर भी नहीं ।
आज के गीत संगीत में भी नहीं ,
बगीचों में नहीं खेत खलिहानों में नहीं।
जब कहीं भी शांति नहीं ,
तो है कहां यह शांति ?
तो एक दिव्य स्वर सुनाई दिया,
केवल तुम्हारे अंतर्मन में..