Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
22 Dec 2021 · 1 min read

कहां है किसी को फिक्र ___ गजल/ गीतिका

मन में उठने वाले सवालों का जवाब भी नहीं देता है।
कहांं है किसी को फिक्र कोई भी सुध नहीं लेता है।।
वादे तो बहुत कुछ कर लेते हैं लोग जिंदगी में हमेशा,
हमने तो अभी तक किसी को साथ देते नहीं देखा है।।
सुख_ दुःख से भरा जीवन है जमाने में सभी का।
वक्त ने किसे है छोड़ा इंतिहान सभी कर लेता है।।
कोई होता सफल किसी को मिलती है असफलता।
तैयारी करके परीक्षा में पर्चा तो हर कोई देता है।।
बीत जाए जिंदगी हमारी समर्पण के साथ ही।
शपथ यही तो “अनुनय”का दिल हर पल लेता है।।
राजेश व्यास अनुनय

2 Likes · 423 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
जीवन एक सफर है, इसे अपने अंतिम रुप में सुंदर बनाने का जिम्मे
जीवन एक सफर है, इसे अपने अंतिम रुप में सुंदर बनाने का जिम्मे
Sidhartha Mishra
दुकान मे बैठने का मज़ा
दुकान मे बैठने का मज़ा
Vansh Agarwal
आहट
आहट
इंजी. संजय श्रीवास्तव
रूह का छुना
रूह का छुना
Monika Yadav (Rachina)
महादान
महादान
Dr. Pradeep Kumar Sharma
कड़वा सच
कड़वा सच
Sanjeev Kumar mishra
*अहिल्या (कुंडलिया)*
*अहिल्या (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
बुंदेली दोहा-नदारौ
बुंदेली दोहा-नदारौ
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
मंहगाई  को वश में जो शासक
मंहगाई को वश में जो शासक
DrLakshman Jha Parimal
हम जो कहेंगे-सच कहेंगे
हम जो कहेंगे-सच कहेंगे
Shekhar Chandra Mitra
‘लोक कवि रामचरन गुप्त’ के 6 यथार्थवादी ‘लोकगीत’
‘लोक कवि रामचरन गुप्त’ के 6 यथार्थवादी ‘लोकगीत’
कवि रमेशराज
जलाने दो चराग हमे अंधेरे से अब डर लगता है
जलाने दो चराग हमे अंधेरे से अब डर लगता है
Vishal babu (vishu)
देखी है हमने हस्तियां कई
देखी है हमने हस्तियां कई
KAJAL NAGAR
फूल
फूल
Pt. Brajesh Kumar Nayak
ये नज़रें
ये नज़रें
Shyam Sundar Subramanian
हर जमीं का आसमां होता है।
हर जमीं का आसमां होता है।
Taj Mohammad
जंग अहम की
जंग अहम की
Mamta Singh Devaa
लक्ष्य हासिल करना उतना सहज नहीं जितना उसके पूर्ति के लिए अभि
लक्ष्य हासिल करना उतना सहज नहीं जितना उसके पूर्ति के लिए अभि
Sukoon
पथ प्रदर्शक पिता
पथ प्रदर्शक पिता
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
पुस्तक समीक्षा- उपन्यास विपश्यना ( डॉ इंदिरा दांगी)
पुस्तक समीक्षा- उपन्यास विपश्यना ( डॉ इंदिरा दांगी)
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
चिंतन करत मन भाग्य का
चिंतन करत मन भाग्य का
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
*कहां किसी को मुकम्मल जहां मिलता है*
*कहां किसी को मुकम्मल जहां मिलता है*
Harminder Kaur
योग क्या है.?
योग क्या है.?
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
वहाँ से पानी की एक बूँद भी न निकली,
वहाँ से पानी की एक बूँद भी न निकली,
शेखर सिंह
धरातल की दशा से मुंह मोड़
धरातल की दशा से मुंह मोड़
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
🙅याद रहे🙅
🙅याद रहे🙅
*प्रणय प्रभात*
हमने अपना भरम
हमने अपना भरम
Dr fauzia Naseem shad
और भी हैं !!
और भी हैं !!
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
Kabhi jo dard ki dawa hua krta tha
Kabhi jo dard ki dawa hua krta tha
Kumar lalit
चंद फूलों की खुशबू से कुछ नहीं होता
चंद फूलों की खुशबू से कुछ नहीं होता
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
Loading...