कहां हैं कहां हैं
कहां हैं कहां हैं ये ज़माना कहां हैं।
हर तरफ अशांति ही फैली इस जहां में।।
लोगों को एक पल ना आराम हैं इस जहां में।
हंसना भूल गए हैं लोग इस जहां में।।
पैसों के पीछे भागते लोग इस जहां में।
रिश्तों की कद्र करना भूल गए लोग इस जहां में।।
प्रोत्साहन हैं गायब इस जहां से।
सहयोग करना भी ना आए लोगों को यहां।।
होता आस्था का व्यापार इस जहां में।
प्यार का मूल्य ना रहा इस जहां में।।
मतलबियों से भरा हैं ये जहां।
अपनापन खो गया कहां इस जहां से।।
मानवता भूल रहे लोग इस जहां में।
रिश्तों से ज्यादा मोबाईल का मोल हैं जहां में।।
मनोबल गिराने वाले बहुत हैं इस जहां में।
सच्चे लोगों का जीना मुश्किल करें ये जहां।।
हरियाली पसंद ना आए इस जहां को।
साहस की कमी हो गई हैं इस जहां में।।
उद्देश्य की कमी लगे इस जहां में।
छोटी सोच में डूबे हैं लोग इस जहां में।।