कहां बैठे कोई , संग तेरे यूं दरिया निहार कर,
कहां बैठे कोई , संग तेरे यूं दरिया निहार कर,
हृदय मचल उठे कभी आ साथ में नौका विहार कर ,।
तू अपनी तकदीर को ऐसे कोश न बैठ कर ,,
पानी में उतर दरिया को पार कर ,
कहां बैठे कोई , संग तेरे यूं दरिया निहार कर,
हृदय मचल उठे कभी आ साथ में नौका विहार कर ,।
तू अपनी तकदीर को ऐसे कोश न बैठ कर ,,
पानी में उतर दरिया को पार कर ,