Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
19 Feb 2020 · 1 min read

‘कहाँ हो तुम’

कहां हो तुम
खो गए ना
दुनिया की भीड़ में
बसा लिया नीड़ नया
पलट कर देख तो लेते
राहों में फूल बिछे हैं
लौट आओ हमराही
प्रतिक्षा है तुम्हारी
समझो तो तुम
मेरा प्रेम
दिन बीत रहे हैं
सदियां भी बीत गई
कहाँ खो गई वो खुमारी
जो छाई थी इन नैनो में
आ जाओ अब बस…
कठिन है इंतजार तुम्हारा
ऐसा ना हो
कभी तुम पलटे
तो सिर्फ
धूल ही मिले राह में
ए हमराही—-
कहां हो तुम… कहां हो तुम…..!

Language: Hindi
483 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
दोहा
दोहा
गुमनाम 'बाबा'
मन्नतों के धागे होते है बेटे
मन्नतों के धागे होते है बेटे
Sandhya Chaturvedi(काव्यसंध्या)
शिव छन्द
शिव छन्द
Neelam Sharma
न बदले...!
न बदले...!
Srishty Bansal
माता - पिता
माता - पिता
Umender kumar
जान लो पहचान लो
जान लो पहचान लो
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
"" *नारी* ""
सुनीलानंद महंत
*साइकिल (बाल कविता)*
*साइकिल (बाल कविता)*
Ravi Prakash
जीत और हार ज़िंदगी का एक हिस्सा है ,
जीत और हार ज़िंदगी का एक हिस्सा है ,
Neelofar Khan
There's nothing wrong with giving up on trying to find the a
There's nothing wrong with giving up on trying to find the a
पूर्वार्थ
दोहा
दोहा
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
यूँ तो हमें
यूँ तो हमें
हिमांशु Kulshrestha
मैं पढ़ता हूं
मैं पढ़ता हूं
डॉ० रोहित कौशिक
" नदिया "
Dr. Kishan tandon kranti
शीशे को इतना भी कमजोर समझने की भूल मत करना,
शीशे को इतना भी कमजोर समझने की भूल मत करना,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
मेरी लाज है तेरे हाथ
मेरी लाज है तेरे हाथ
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
शिव रात्रि
शिव रात्रि
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
होगे बहुत ज़हीन, सवालों से घिरोगे
होगे बहुत ज़हीन, सवालों से घिरोगे
Shweta Soni
सर्द हवाएं
सर्द हवाएं
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
पिछले पन्ने 5
पिछले पन्ने 5
Paras Nath Jha
ग़मों को रोज़ पीना पड़ता है,
ग़मों को रोज़ पीना पड़ता है,
Ajit Kumar "Karn"
55…Munsarah musaddas matvii maksuuf
55…Munsarah musaddas matvii maksuuf
sushil yadav
आओ गुणगान देश का गाएं
आओ गुणगान देश का गाएं
Pratibha Pandey
सात जनम की गाँठ का,
सात जनम की गाँठ का,
sushil sarna
तिरंगा
तिरंगा
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
अंदाज़ ऐ बयाँ
अंदाज़ ऐ बयाँ
Dr. Rajeev Jain
4913.*पूर्णिका*
4913.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
फ़ायदा क्या है यूं वज़ाहत का,
फ़ायदा क्या है यूं वज़ाहत का,
Dr fauzia Naseem shad
..
..
*प्रणय*
माॅ
माॅ
Santosh Shrivastava
Loading...