कहाँ से शुरू करू , कहाँ करू तमाम,
कहां से शुरू करूं,कहां करूं तमाम,कहानी उसकी,
दिल के जख्मों को जवां रखती है,जालिम जवानी उसकी,
मेरे लबों पे नाम उसी का रहता है,
आंखें हैं मेरी बस दीवानी उसकी,
उसकी वो शोख़ अंगड़ाइयां, दीवाना बनाती हैं,
अटखेलियां है खुदा कसम मस्तानी उसका,
खुद – ब – खुद खिचा चला जाता हूं,
ऐसा है जोबन में रवानी उसकी,
“साहिब” तू भी आशिक हो जाएगा,
देखेगा जू ही सूरत आसमानी उसकी,