!! कहाँ सादगी हैं पसन्द जमाने को !!
कहाँ पसन्द है सादगी जमाने को
क्यों सवाल करते हो??
सोने की सुराही में भर घड़े का पानी
क्यो बवाल करते हो??
कहाँ पसन्द है सादगी…………
सादगी तो गंवार है
पश्चिम की दीवार है
संस्करण है बड़ा पुराना
यह आउटडेटेड बेकार है।
सादा मतलब बासी है।
गंवार गांव का निवासी है।
क्यों सादगी का मन में
ख्याल करते हो??
कहाँ पसन्द है सादगी…………
सादगी अनपढ़ अनाड़ी है
पत्थर तोड़ती दिहाड़ी है।
कारी लगी फ़टी पुरानी
तन पर हया की साड़ी है।।
सादगी बदरंग है।
जीवन की एक जंग है।
क्यों खड़ी दीवाल करते हो??
कहाँ पसन्द है सादगी…………
सादगी आदर और सत्कार है
सादगी कुदरत का उपकार है।
भोलेपन की ओस में भीगा
सादगी एक संस्कार है।।
महल वालो क्यों सादगी का
मलाल करते हो??
कहाँ पसन्द है सादगी…………
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✒️
कुं नरपतसिंह “पिपराली”