कहाँ मिलेंगे उसके क़दमों के निशाँ
कहाँ मिलेंगे उसके क़दमों के निशाँ
कहाँ मिलेंगे , उसके क़दमों के निशाँ
कहाँ नज़र आयेंगे , उसकी उपस्थिति के निशाँ |
किस आकृति में उसने , स्वयं को किया होगा अवस्थित
किस रंग रूप में उसने , स्वयं को किया होगा पोषित |
कोई कहता है , ईश्वर मानव मन में अवस्थित
कोई कहता है ईश्वर , मानव रूप में अवस्थित |
कहते हैं प्रेम की अनुभूति में , ईश्वर का एहसास
प्रकृति का कण – कण , उसके एह्सास से प्रफुल्लित |
सलिला के कल – कल निनाद में , उसकी अनुभूति
मंदिर के घंटे की ध्वनि और शंखनाद में उसका आभास |
पंछियों के मधुर स्वर में , उसकी अनुभूति
श्रद्धा और सबूरी में उसकी उपस्थिति का एहसास |
आध्यात्मिक सोच में , उसकी उपस्थिति की अनुभूति
इस धरा की प्रत्येक कृति में , उसका एहसास |
उसकी प्रत्येक अनुभूति पर , सर्वस्व समर्पित
उसके प्रत्येक एहसास और अनुभूति को , वंदन और नमन |
कहाँ मिलेंगे , उसके क़दमों के निशाँ
कहाँ नज़र आयेंगे , उसकी उपस्थिति के निशाँ |
किस आकृति में उसने , स्वयं को किया होगा अवस्थित
किस रंग रूप में उसने , स्वयं को किया होगा पोषित |