कहाँ गई मेरी ख़ुशी….
कहाँ गई मेरी ख़ुशी,
कहाँ गई मेरी हँसी,
सूने हुए घर के कोने,
सपने लगते अब बौने,
कैसे आएंगे सुहाने दिन,
कैसे रहेंगे ममता बिन,
क्यों गए सबको छोड़,
अंतर्मन को यूँ तोड़,
माँ बिना कैसा संसार,
लगता है घोर अंधकार,
दिल माने न, यह क्या हो गया,
दुःख की दास्ताँ होती नहीं बयां,
आँखों की बरसात अब न रुकें,
गम के सागर तट तोड़ चुके,
क्यों बन जाते प्रभु इतने निष्ठुर,
पल में खुशियों को कर देते फुर्र,
कौन हमें देगा अब प्यार,
कौन करेगा माँ अब दुलार,
चली गई होंठो की मुस्कान,
बोझिल लगता अब जहान,
कहाँ गई मेरी ख़ुशी,
कहाँ गई मेरी हँसी,
(—–जेपीएल.)