कहलाए क्या ?
पात झरें पतझर कहलाएं
अश्रु झरें कहलाएं क्या ?
निभते तक तो प्रीत कहाए
जब न निभे कहलाए क्या ?
पलक पे हैं तब तक आंसू हैं
ढलक गए तो पानी
मन में हों तो राज़ की बातें
कह दी जाए कहानी
होठ न बोलें मनवा सुन ले
वो बातें कहलाएं क्या ?
रात के पहले दिन आता है
दिन के पहले रात
स्वप्न के पहले क्या आता है
क्या सपनों के बाद
नींद में देखा सपन कहाए
आंख खुले कहलाए क्या ?
पुरवाई जब थक जाए तो
चलने लगे पछवाई
जिसका न हो कोई संगी साथी
कैसे चले वो राही
चलता रहे तो पथिक कहाए
रुक जाए कहलाए क्या ?
दुख ने सुख का सुख पाया है
सुख ने भी दुख झेले
हमको तो जुड़वां से लगते
सन्नाटे और मेले
सुख-दुख के आने-जाने का
संधि-समय कहलाए क्या ?
पात झरें पतझर कहलाएं
अश्रु झरें कहलाएं क्या ?
निभते तक तो प्रीत कहाए
जब न निभे कहलाए क्या ?