कहमुकरी
बैठे-बैठे उसे निहारूँ।
देख उसे निज रूप सँवारूँ।
उस पर मेरा सब कुछ अर्पण।
क्या सखि साजन?नहिं सखि दर्पण।।1
जब वह आए गले लगाए।
अंग-अंग रंगीन बनाए।
रंग बिरंगी कर दे चोली।
क्या सखि साजन? नहिं सखि होली।।2
उसके बिना बहें नित आँसू।
काम करे वह सबसे धाँसू।
उस पर टिकी सुनो सब शोहरत।
क्या सखि साजन? नहिं सखि दौलत।।3
देख उसे तन-मन हरषाता।
उससे अपना गहरा नाता।
उससे करती सदा वफाई।
क्या सखि साजन? नहीं सफाई।।4
लक्ष्य यही जीवन में ठाना।
हर हालत में उसको पाना।
कर दे वह मिज़ाज की पुर्सी।
क्या सखि साजन? नहिं सखि कुर्सी।।5
चाय साथ में उसके पीना।
उसकी बातें सुनकर जीना।
वह है जीवन का श्रृंगार।
क्या सखी साजन? नहिं अखबार।।6
रूप-रंग है उसका न्यारा।
वह लगता है मुझको प्यारा।
दिखता जैसे पर सुरखाब।
क्या सखि साजन? नहीं गुलाब।।7
दूर करे गम की परछाई।
बनकर आए कभी दवाई।
नशा बड़ा उसका मतवाला।
क्या सखि साजन?नहिं सखि हाला।।8
काया उसकी भरकम भारी।
रखे सुरक्षित चीज़ें सारी।
जाऊँ उस पर मैं बलिहारी।
क्या सखि साजन? नहिं अलमारी।।9
सबसे पहले कपड़ा खोले।
इंच इंच फिर बदन टटोले।
पूछे वह क्या मेरी मर्जी।
क्या सखि साजन? नहिं सखि दर्जी।।10
जाड़ा उससे लिपट भगाऊँ।
उसको अपने अंग लगाऊँ।
वही एक सर्दी में संबल।
क्या सखि साजन?नहिं सखि कंबल।।11
चाल ढाल है उसकी न्यारी।
बातें अल्हड़ प्यारी- प्यारी।
करे रोज़ अपनी मनमानी।
क्या सखि साजन?नहीं जवानी।।12
बच्चों सी वह करता हरकत।
उसके शब्दों में है बरकत।
घेरे रहता उसको आपा।
क्या सखि साजन? नहीं बुढ़ापा।।13
सुनकर उसको मन बहलाऊँ।
मन में जोश उमंगें लाऊँ।
उसको अपना सब कुछ माना।
क्या सखि साजन?नहिं सखि गाना।।14
दबा पैर के नीचे रखती।
मज़ा गुदगुदा उसका चखती।
सँग में उसको रखती हरपल।
क्या सखि साजन? नहिं सखि चप्पल।।15
चाह यही उसको पा जाऊँ।
लाख जतन कर उसे रिझाऊँ।
हमको नाच नचाए कैसा?
क्या सखि साजन? नहिं सखि पैसा।।16
लिपट रहे वह मेरे तन से।
उसे सँभालूँ अपनेपन से।
दूर हटे तो जाती ताड़ी ।
क्या सखि साजन? नहिं सखि साड़ी।।17
देख उसे दिल मेरा काँपे।
डरकर दुश्मन नैना झाँपे।
ऐसी है उसकी कद काठी।
क्या सखि साजन? नहिं सखि लाठी।।18
लंबी चिकनी उसकी काया।
देख बदन मेरा थर्राया।
तन से सटे जोश हो ठंडा।
क्या सखि साजन? नहिं सखि डंडा।।19
डॉ.बिपिन पाण्डेय