कहने लगे
…..कहने लगे!
भीगी रातों में स्फुटित प्रेम अंकुर
जब उजाले में कुम्हलाने लगे
हाय बहुत कुछ ये कहने लगे
मिल गया अर्थ टूटे हुए शब्दों का
जब आँखों से ये बहने लगे
हाय बहुत कुछ ये कहने लगे
वो ख़त का जला हुआ टुकड़ा
जब दिल को जलाने लगे
हाय बहुत कुछ ये कहने लगे
ज़िंदगी के पन्ने हो तितर बितर
जब हाथों से उड़ने लगे
हाय बहुत कुछ ये कहने लगे
वो भी चुप और हम भी चुप
जब होंठ भी सिलने लगे
हाय बहुत कुछ ये कहने लगे
रेखांकन।रेखा