कहने को बाते बहुत जान मेरी
कहने को बाते बहुत जान मेरी,
कोई शाम घड़ी मिलने आओं तो |
चाहत की प्रेम बदरिया बरसा कर,
मेरे तन मन को भीगा जाओं तो |
होंठो में गीत मधुर बन आते हों ,
ख्वाबों में आ आकर मुस्काते हों |
तुमबिन गीत अधूरा प्रीत अधूरा ,
इक दूजे बिन आखिर कब है पूरा ||
तुम काजल बिंदी मेहँदी लगाकर,
जुल्फ़ें बिखेर कूचें में आओं तो ||
बिन तेरे पतझड़ सी दुनिया सारी,
उलझी उलझी है ज़िन्दगी हमारी |
मैं दुनिया में निर्जन द्वीप अकेला ,
वो राही साथ निभाने आओं तो ||
चल बैठे दूर कहीं अमराई में ,
दोनों खो जाएं इश्क खुदाई में |
जैसे खामोश जहां है सदियों से ,
कोयल की बानी हमें सुनाओं तो l
Written by – दुष्यंत कुमार पटेल