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30 Mar 2024 · 1 min read

कहते हैं रहती नहीं, उम्र ढले पहचान ।

कहते हैं रहती नहीं, उम्र ढले पहचान ।
काहे नश्वर देह पर, करता जीव गुमान ।
आभासी सुख तीर पर, शूलों के हैं ढेर –
मिट जाते हैं जीव के, साथ सभी अरमान ।

सुशील सरना / 30-3-24

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