कहते उसको शेर ए खुदा।
छोटी सी उम्र में बड़ा तजुर्बा है।
शायद तुमने भी इश्क किया है।।
मरहबा अली का मरतबा है।
कहते उनको शेर ए खुदा है।।
खूबसूरत होता वही चेहरा है।
जिसकी नजर में होता परदा है।।
चलने फिरने में सब जिन्दा है।
इंसानियत के नाम पर मुर्दा है।।
परवाना लौ मे खुद जलता है।
इसमें शम्मा का ना कुछ करना है।।
अभी शुरुआत है हंस लो जी भरके।
यह इश्क है बाद में फिर तो रोना है।।
मत पड़ना तुम मुहब्बत के जंजाल में।
तजुर्बा पाए ताज का सबसे कहना है।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ