कहती है कलम नया
क्या कुछ कहती है कलम नया
खुशियों के लम्हे या हो ग़म नया
डुबा कर कलम दिल की
जज्वातों की स्याही से
बस कर दो सब बयां
रंग चढ़ें बिरह बेदना के
मधुर मिलन का रंग चढ़ा
जज्बातों की स्याही से
सब कर दो सब बयां
हों आशाएं अभिलाषाएं
या हो घोर निराशाएं
सब को देदो रंग जरा
जज्बातों की स्याही से
बस कर दो सब बयां
….. विवेक …
ब्लॉग पोस्ट 8/4/17