कहकर क्या करना है(माहिया गीत)
कहकर क्या करना है
ज़ख्म हमारा ये
बह बहकर भरना है
जो दर्द हमारे हैं
बन्द सदा दिल में
रहते बेचारे हैं
आँसू का झरना है
ज़ख्म हमारा ये
बह बह कर भरना है
इस जीवन की उलझन
सुलझाती रहती
लेकर टूटा सा मन
दुनिया से डरना है
ज़ख्म हमारा ये
बह बह कर भरना है
हमको तो बस जीना
घूँट गरल के ये
हँस हँसकर हैं पीना
निश्चित ही मरना है
ज़ख्म हमारा ये
बह बह कर भरना है
10-08-2021
डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद