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7 Jun 2021 · 1 min read

कसूर मेरा नहीं —— कविता

कसूर मेरा नहीं आंखो का था।
तुझे इन्होंने ही तो देखा था।
हो गया प्यार तुझसे,
तूने भी तो मुझे नहीं रोका था।।
अब जब सिलसिले,
चल ही पड़े है,
बैरोक ठोक चलने दे।
तू मुझसे मिल,
इस दिल को तुझसे,
मिलने दे।।
रत्न है अनमोल,
प्यार जिंदगी का।
सजने संवरने दे।।
राजेश व्यास अनुनय

Language: Hindi
2 Likes · 2 Comments · 450 Views
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