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28 May 2018 · 2 min read

कविता

“नफ़रत की आग लगा बैठे हैं ,कश्मीर की वादी से,
घर उसका ही जल जाएगा, कह दो ये बात जिहादी से,
दहशतगर्दी नही चलेगी काश्मीर की घाटी में,
कसम है उनको दफ़ना देगें अपने वतन की माटी में,
फिर भूले इतिहास हमारा जब भी हमसे टकराये हैं,
विजय पताका लहराया हमने हर बार वो मुहँ की खाये हैं, बारूदों का खौंफ दिखाते हैं जो डर जाते हैं लाठी से,
नफ़रत की आग लगा बैठे हैं कश्मीर की वादी से,
चूहों से बिल में बैठे हैं , अमन निज राष्ट्र का कुतर रहे,
पथभ्रष्ट किया है उनको जो पत्थर बाजी पर उतर रहे हैं,
जवानों की नित जलती चिताओं पर,
कब तक सीकेगी राजनीति की रोटी,
कोई तो बोले जाओ कर दो दुश्मन की बोटी -बोटी,
सर कलम किया तेरे साथी का जो सर उसका ले आओ, भारत माँ के चरणों में लाकर के दफ़नाओ,
कब तक लहू बहाकर वो हमें चैन की नींद सुलायेंगे,
आख़िर कब तक कुर्बानी देकर वही वतन बचायेंगे,
अमन नही हो सकता केवल भाषण बाज़ी से,
शहादतें व्यर्थ हो जायेंगी,सरकारी सौदे बाज़ी से,
कब तक जल कर रोशनी देगी,पूछता दीपक बाती से,
कब तक वचन निभा लोगे पड़ोस में बैठे घाती से,
तोड़ वचन सारे इनको इनकी औकात बता दो,
देश पे मर मिटने वाले शहीदों के कर्ज़ चुका दो,
कश्मीर था स्वर्ग धरा का ,फिर इसको स्वर्ग बना दो,
लूट जाए ना खुशियां सारी दंगों की बरबादी से,
नफ़रत की आग लगा बैठे हैं जो कश्मीर की वादी से,
घर उनका भी जल जाएगा कह दो ये बात जिहादी से,
जीते ही जन्नत को आग में झोंका,
नासमझों ने मरकर कर जन्नत पाने को,
समझो हिंसा कोई मार्ग नही है खुदा के घर तक जाने को,
रूहें सुकून मिले सबको और संस्कृतियों का मान रहे ,
लबों तक ना सिमटें हर दिल तक हिंदुस्तान रहे,
वीरों के हाथ ना बाँधे जाए उनका भी सम्मान रहे,
अमन प्रेम राष्ट्र की शोभा हो हर भारतीय का स्वाभिमान रहे”

Language: Hindi
241 Views
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