हँसी और मुस्कान की बस्तियाँ
बहुत दूर गुमगयीं बस्तियाँ
हँसी और मुस्कानों की ।
जीवन की दो सगी सहेली
मोहताज पहचानों की ।
भागी हँसी छोड़कर आंगन
हँसने बाग बगीचों में ।
मुस्काने हो गयीं प्रवासी
आसपास की झीलों में ।
गलियों में पसरा सन्नाटा
बाज़ारों की भीड़ घटी ।
नकली हँसी और मुस्कानें
कश्मीर में अटी पड़ी ।
पाकिस्तानी धमा-चौकड़ी
जीवन में सिरमौर हुई ।
विभित्सकों ने पैर पस्सरे
हुई सहजता छुईमुई ।
हँसी और मुस्कानें लौटें
कश्मीरी इंसानों की ।
जहाँ उड्ती आज धज्जियाँ
सरकारी अहसानों की ।