कौन?
अब उन रास्तों पे वापिस, जाए कौन?
दिल में मोहब्बत फिर, जगाए कौन?
इक गलत फ़ैसला, आज भी चुभता है,
इस दिल से बोझ भला ये, हटाए कौन?
कभी जागते आंखों से देखे थे ख़्वाब मैंने,
भला जागते को ख़्वाब से, जगाए कौन?
सभी मुसीबतों से तो लड़ गया मैं लेकिन,
इस दिल की लगी आग को, बुझाए कौन?
यूं तो सुकून उसको भूल जाने में है “अभि”
मगर इस पागल दिल को समझाए कौन?
© अभिषेक पाण्डेय अभि