कवि
सूर्य भी निस्तेज-सा यदि तुम सुकवि,
बन बढो, हिंसा छटे सद् प्रेम छवि।
लोग कहते, चेत गह, निज राष्ट्र का।
प्राण धन सह सत्य का संदेश कवि।
बृजेश कुमार नायक
“जागा हिंदुस्तान चाहिए” एवं “क्रोंच सुऋषि आलोक” कृतियों के प्रणेता
सूर्य भी निस्तेज-सा यदि तुम सुकवि,
बन बढो, हिंसा छटे सद् प्रेम छवि।
लोग कहते, चेत गह, निज राष्ट्र का।
प्राण धन सह सत्य का संदेश कवि।
बृजेश कुमार नायक
“जागा हिंदुस्तान चाहिए” एवं “क्रोंच सुऋषि आलोक” कृतियों के प्रणेता