कवि हृदय
जीवन की वो स्मृतियां
जो अंकित होती हृदय पृष्ठ पर
वही रंगोली चित्रित होती
अंतर्मन के पत्रों पर ।
कवि की मुद्राएं अलग अलग
वह कई तरह से लिखता है
सरल कठोर व्यगं भाषा मे
प्रेम मधुर सा बहता है ।
जब उसकी सूरत पुष्पों मे
सुन्दर मूरत सी दिखती है
जब चित्त मोहिनी सुगधं
मंद पवन संग बहती है ।
जब मन के भाव कई रंगो मे
हृदय पृष्ठ पर ढलते है
जब प्रभु के पद तडाग पर
पंकज प्रीति पनपते है ।
जब प्रकृति के सानिध्य मे
हृदय लगे विचरण करने
जब आंखे कवि बन जाती है
मस्तिष्क लगे विवरण भरने ।
तब कवि कलम कुछ कहती है
दीवाली और होली मे
अक्षर अक्षर हो जाते मुद्रित
फिर; पृष्ठों पर काव्य रंगोली मे।
……पंकज पाण्डेय…..