कवि/लेखक- दुष्यन्त कुमार (सम्पूर्ण साहित्यिक परिचय)
लेखक के बारे में
युवा कवि एवं लेखक ‘दुष्यन्त कुमार’ का जन्म उत्तर प्रदेश में अमरोहा जिले के ब्लाक हसनपुर के एक छोटे से गांँव तरारा में पिता श्री बदलू सिंह जी तथा माता स्व. श्री मती चन्द्रवती देवी के घर 10 जनवरी, 1994ई. को हुआ था। चार साल की उम्र में ही माता जी का स्वर्गवास गंभीर बीमारी का आर्थिक स्थिति के कारण इलाज न होने से हो गया था। पिता श्री बदलू सिंह ने उन्हें बचाने की बहुत कोशिश की परन्तु उन्हें बचा न सके। मांँ के गुजर जाने के बाद घर पर खाना बनाने का कार्य बड़ी बहन, छोटी बहन तथा दादी जी द्वारा किया जाता था। सिर से मांँ का साया उठ जाने, आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण, दुष्यन्त कुमार का बचपन बहुत ही कठिन परिस्थितियों में व्यतीत हुआ। दुष्यन्त कुमार की प्रारंभिक शिक्षा अपने गांँव के सरकारी विद्यालय तरारा (हाजीपुर) में ही हुई। दुष्यन्त कुमार शुरू से ही मेधावी और प्रतिभाशाली छात्र रहे हैं। हाईस्कूल, इंटरमीडिएट कॉलेज टॉप और स्नातक में महाविद्यालय टॉप, पास के कस्बा सैदनगली से किया। दुष्यन्त कुमार ने अपनी सम्पूर्ण शिक्षा मेहनत मजदूरी करके, खुद अपने हाथों से रोटी बनाकर तथा ट्यूशन प्राइवेट स्कूल में पढ़ाकर पूरी की, पढ़ाई बीच में ना रुके इसके लिए दुष्यन्त कुमार गर्मियों की छुट्टियों में गाजियाबाद, अंबाला जैसे शहरों में सीवरेज और मेहनत मजदूरी का काम किया परन्तु पढ़ाई जारी रखी, जिसका परिणाम यह है कि आज वर्तमान में बेसिक शिक्षा विभाग में सहायक अध्यापक पद पर तैनात हैं और लेखन क्षेत्र में राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सम्मान प्राप्त कर चुके हैं। दुष्यन्त कुमार अपने छःभाई बहनों में तीसरे नम्बर के हैं।
दुष्यन्त कुमार की सौ से भी अधिक कविताओ, गीतों लेखो और बाल कविताओं को लगभग पचास-साठ से भी अधिक विभिन्न राष्ट्रीय तथा क्षेत्रीय अखबारों में प्रकाशित किया जा चुका है और लगातार इस क्षेत्र में संघर्षशील हैं। दुष्यन्त कुमार की दो किताबें “हम पर अत्याचार क्यों?”,”आधुनिक विचारों का मंथन”, प्रकाशित हो चुकी हैं। आठ साझा संग्रह-“साहित्य जगत के उभरते सितारे”, “हौसला”, “फूले हैं पलाश”,”कहानियों का काफिला”, सृजन के अंतर्गत “काव्य मंजरी”, “बाबा साहब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर”, “स्वतंत्रता के स्वर”और”हिन्दी हैं हम”प्रकाशित हो चुके हैं। “दुष्यन्त कुमार सार अथवा गागर में सागर”,”जेल का जीवन”,”जेल से”,”मुकदमा नं. 376/19″,”मेरे गीत”,”बाल कविताएंँ(बच्चों की दुनिया)”,”उत्पीड़न”,मेरी शिक्षकीय यात्रा” आदि पुस्तकों पर कार्य जारी है।
दुष्यन्त कुमार को उनकी कविता “मैं वर्तमान की नारी हूंँ।” के लिए 8 मार्च 2024 को महिला दिवस के उपलक्ष में अंतरराष्ट्रीय साहित्यिक संस्था “शब्द प्रतिभा बहुक्षेत्रीय सम्मान फाउंडेशन नेपाल” द्वारा “महिला शक्ति काव्य रत्न 2024” की “मानद उपाधि”, और हिन्दी दिवस के अवसर पर “हिन्दी काव्य रत्न2024″की मानव उपाधि से सम्मानित किया गया।नेपाल भारत मैत्री रत्न 2024″सम्मान से सम्मानित किया जा चुका है और “अंतरराष्ट्रीय महिला समानता प्रतियोगिता” में प्रतिभाग के लिए 26 अगस्त 2024 को सम्मानित किया गया।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर त्रैमासिक साहित्यिक प्रसिद्ध हिन्दी पत्रिका “साहित्य मंथन तंजानिया (अफ्रीका)” में मेरी एक कहानी “मुर्गा की बलि” और “क्या रखा है वार में?” नामक कविता प्रकाशित हो चुकी है। देश की सबसे बड़ी शैक्षिक संस्था “एनसीईआरटी” (नई दिल्ली) द्वारा उनकी लेखन प्रतिभा को देखते हुए आमंत्रित किया और कवि रूप में प्रतिभाग के लिए सम्मानित किया। राष्ट्रीय संगोष्ठी प्रपत्र “बलदेव सिंह (पीजी) कॉलेज (अनूपशहर) बुलंदशहर” से प्रतिभाग के लिए प्रदान किया गया। राष्ट्रीय संगोष्ठी प्रपत्र चौधरी “चरण सिंह यूनिवर्सिटी मेरठ” से प्रतिभाग के लिए प्रदान किया गया। “राष्ट्रीय स्तर” पर “डॉ. भीमराव अंबेडकर स्मृति सम्मान- 2024″ हिंदी साहित्यिक योगदान हेतु” “बृजलोक साहित्य कला संस्कृति अकादमी (भारत सरकार द्वारा पंजीकृत) द्वारा प्रदान किया गया।” राष्ट्रीय स्तर पर “मुंशी प्रेमचंद सम्मान 2024”, अखिल भारतीय कायस्थ महासभा जयपुर द्वारा प्रदान किया गया। हौसला कवि सम्मेलन, जिला बागपत 2022-23 में प्रतिभाग किया और सम्मान प्राप्त किया। “अमरोहा साहित्यिक मंच” द्वारा प्रतिभाग हेतु सम्मानित किया गया। 5 सितंबर को चित्तपावन भारत पत्रिका परिवार द्वारा “उत्कृष्ट शिक्षक सम्मान 2024” प्रदान किया गया। उत्कृष्ट साहित्यिक योगदान के लिए “हौसला” टीम बागपत की ओर से “साहित्य रत्न सम्मान 2023” से अलंकृत किया गया। अखिल भारतीय काव्यधारा, रामपुर (उत्तर प्रदेश) द्वारा प्रतिभाग हेतु “काव्यप्रज्ञ सम्मान2024” प्रदान किया गया। “प्रथमा यूपी ग्रामीण बैंक अमरोहा” द्वारा बेस्ट वक्ता के लिए पुरस्कृत और शिक्षक रत्न सम्मान 2022, से सम्मानित किया गया। बामसेफ फैक्ट्री गजरौला द्वारा सम्मानित किया गया। ऑनलाइन प्लेटफॉर्म “साहित्यपीडिया” द्वारा सम्मानित किया गया। “शैक्षिक संवाद मंच उत्तर प्रदेश” में प्रतिभाग करने हेतु प्रशस्ति पत्र प्रदान किया गया, प्रेरणा परिवार पुवायां, शाहजहांपुर (उ.प्र.) द्वारा “कर्मयोगी शिक्षक सम्मान 2024”, स्मिता नागरी लिपि साहित्य संगम द्वारा “सम्मान पत्र” प्रदान किया गया, श्री सत्यइंदिरा फाउंडेशन जयपुर द्वारा 5 सितंबर को “विश्व गुरु भारत गौरव सम्मान 2024”, प्रदान किया गया, हिंदी दिवस पर धनौरा (अमरोहा) में महामहिम केरल के राज्यपाल “श्री आरिफ मोहम्मद खान जी” को पुस्तक भेंट कर सम्मान पत्र और सहभागिता प्रमाण पत्र प्रदान किया गया, नागरी लिपि परिषद नई दिल्ली (पंजीकृत) कर्नाटक इकाई द्वारा हिन्दी “साहित्य सेवा सम्मान 2024” प्रदान किया गया। हिंदी महोत्सव 2024 अमरोहा जिले के धनौरा में केरल के महामहिम राज्यपाल “श्री आरिफ मोहम्मद खान जी”को अपनी पुस्तक भेंट की और महामहिम जी से ने सम्मानपत्र से सम्मानित किया और साथ में प्रतिभागिता प्रमाण पत्र भी प्रदान किया गया। गया समय-समय पर “मिशन शिक्षण संवाद” के अंतर्गत बाल कविताओं का प्रकाशन लखनऊ से लगातार जारी है। “रामधारी सिंह दिनकर साहित्य सेवा सम्मान 2024” और “भारत माता अभिनंदन सम्मान 2024” से सम्मानित किया गया।
इसके अलावा अन्य विभिन्न क्षेत्रीय साहित्यिक मंचों द्वारा सम्मानित किया जा चुका है।
दुष्यन्त कुमार द्वारा लिखी गई कविताओं, गीतों, कहानियों और लेखों में व्यक्तियों की पीड़ा, दुख, दर्द व वास्तविक परिस्थिति के दर्शन होते हैं।
दुष्यन्त कुमार की अधिकतर कविताएंँ, गीत और लेख यथार्थवाद पर आधारित है जो वास्तविकता से परिपूर्ण है। दुष्यन्त कुमार की हिन्दी साहित्य के प्रति लग्न, मेहनत, समर्पण और अभी तक इतनी कम उम्र में प्राप्त की गईं उपलब्धियों को देखते हुए “शब्द प्रतिभा बहुक्षेत्रीय सम्मान फाउंडेशन नेपाल” द्वारा”वर्ल्ड टैलेंट इंटरनेशनल अवार्ड-2025″ के लिए चुना है और इसी संस्था द्वारा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विश्व की सबसे बड़ी साहित्यिक परिचय डायरेक्ट्री “साहित्याकाश के चमकते सितारे”में मेरा विस्तृत परिचय प्रकाशित किया जाएगा जिसमें विश्व के लगभग 50 से अधिक देशों के लेखक शामिल होंगे।
दुष्यन्त कुमार इंसानियत को सर्वोपरि मानते हैं। प्रत्येक अपने कार्यों को खुद करना पसन्द करते हैं। दुष्यन्त कुमार किसी भी कार्य को कल के लिए कभी नहीं टालते, वह अंधविश्वास और पाखंडवाद जातिवाद, छुआछूत आदि के प्रबल विरोधी हैं। वह प्रत्येक सामाजिक कार्य में बढ़-चढ़कर भाग लेते हैं। इसी कारण दुष्यन्त कुमार को लगभग दो माह एक झूठे केस में जिला कारागार बागपत में रहना पड़ा। उनका हमेशा यही नजरिया रहता है,- “पढ़ो आगे बढ़ो, दुनिया का सबसे शक्तिशाली हथियार शिक्षा है, आपका भविष्य आपके हाथ है।”
सम्पर्क सूत्र-9568140365,7900459046
ईमेल – dushyantk100194@gmail.com