कवि भगत व्यापारी भुखे भाव के होते
गंधर्व लोक कवि श्री नंदलाल शर्मा जी की अनमोल रचना
संग्रहकर्ता—श्री राजकुमार शर्मा अटेला
टेक- कवि भगत व्यापारी भुखे भाव के होते।
दिल मुड़ते नहीं टुटज्यां पक्के ताव के होते।।
१-विद्या चतुर पुरुष पढ़ता है,प्रेमी मिले प्रेम बढ़ता है,
जिस समय भाव बढ़ता है पूरे पाव के होते।
२-दुख हो आधी व्याधी अन्दर,सुख हो अटल समाधी अन्दर,
ब्याह शादी अन्दर काम सभी रंग चाव के होते।
३-जो जन चरण शरण मैं आते,कटज्या मल फल उत्तम पाते,
ना सिंधु मैं भय खाते जो खेवट नाव के होते।
४-केशोराम चाम की पोल,बजैं कुंदनलाल काल के ढ़ोल,
नंदलाल बखत के बोल करणीये घाव के होते।
टाइपकर्ता: दीपक शर्मा