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22 Jan 2017 · 1 min read

*** कवि तेरी क्या कामना ***

कवि तेरी क्या कामना,हुआ जो आमना-सामना ।
देखा उसने हमें इस तरहा,जैसे हो सामने बालमा।

कवि .. ..सामना।

पहले-पहल नजरें मिलाई,फिर उसने पलकें गिराई।

धीरे-धीरे यूँ मुस्काई,जैसे कोई नव कली । कवि……. ……सामना । हाथों से अपना चेहरा छुपाया,
फिर गले से हमन यूँ लगाया ।

सवेरा जब हुआ..लिपटे थे बाँहों में

फिर दर्द को मेरे .हमदर्द ने अपनाया । ..
कवि…. ….सामना।।

?मधुप बैरागी

Language: Hindi
253 Views
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