‘कवि कुछ ऐसा गीत लिख दो’
हो प्रसन्न मन वदन काया,
गीत कवि लिख दीजिए।
सुप्त तन दुखित जन सभी को,
चेतना वर दीजिए।
देश भक्ति से हृदय पूरित,
भ्रमित मन को ज्ञान दो।
हों न भय मन वीरता का,
राग रस भर दीजिए।
हो देश प्रथम हर दृष्टि से
राष्ट्र धर्म सर्व श्रेष्ठ हो,
मलिन भाव काट छाँट दो
मधुर स्वर लिख दीजिए
सुखद विचार भू पर पले
द्वेष वसन उतार दो,
शुद्ध बुद्धि जन हृदय में भरे,
सुघड़ शब्द गढ़ दीजिए।
शब्द शक्ति रूपी वो धार दो
गुने तो चमत्कार हो,
पीकर अमर बन जायें जो
अमिय रस भर दीजिए।
-गोदाम्बरी नेगी