कवि कविता नहीं लिखता है
कवि कविता नहीं लिखता है
कविता तो बन जाती है
शब्द बाण जब टूट पढ़े तो
तो भाषा बन जाती है
कवि कविता नहीं लिखता है
कविता तो बन जाती है।
कण-कण मिल-मिल कर के द्रव के
बादल का सृजन करते हैं
पवन तुल्य जब भार हुआ तो
फिर वर्षा ये करते हैं
मेघा वर्षा कर जल अपना
तृप्त धरा जल करते हैं
मेघों की भांति ही कवि तो
हृदय जलन वर्षाते हैं,
जब कविता के भावों की मनसा
जन-जन के हृदय समाती है
तब कविता के उस कवि की
सारी पीड़ा हर जाती है।
रचनाकार— नरेश मौर्य