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20 May 2024 · 1 min read

कवि और कलम

कवि और कलम

नदी की अनबुझी
प्यास पर लिखती
दिलों में अलाव सा जलाती
बाद मुद्दत जो इश्क की
आग सी जलाए रखती
कवि और कलम मिल
रचते ऐसी कृतियाँ

व्यवस्थाओं के खिलाफ
शंखनाद करती
प्रीत प्यार आशा
ममत्व का ही नहीं
इक नई लीक ले
क्रांति का अंगार बनती
कवि और कलम मिल
रचते ऐसी कृतियाँ

इतिहास के फलक पर
संस्कृति का धनक सजा
गुनगुनाते ख्वाबों की
इक अनवरत यात्रा सी
बेबसी को हराती
उम्मीद की इक लौ जलाती
कवि और कलम मिल
रचते ऐसी कृतियाँ

Tag: Poem
37 Views
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