कवि और कलम
कवि और कलम
नदी की अनबुझी
प्यास पर लिखती
दिलों में अलाव सा जलाती
बाद मुद्दत जो इश्क की
आग सी जलाए रखती
कवि और कलम मिल
रचते ऐसी कृतियाँ
व्यवस्थाओं के खिलाफ
शंखनाद करती
प्रीत प्यार आशा
ममत्व का ही नहीं
इक नई लीक ले
क्रांति का अंगार बनती
कवि और कलम मिल
रचते ऐसी कृतियाँ
इतिहास के फलक पर
संस्कृति का धनक सजा
गुनगुनाते ख्वाबों की
इक अनवरत यात्रा सी
बेबसी को हराती
उम्मीद की इक लौ जलाती
कवि और कलम मिल
रचते ऐसी कृतियाँ