कवित्त
तुम्हारी वासनाओं के
तुझे पाने को
तुझमें ही समाना प्रिय मुझे।
तुम्हारी शरीर के प्रश्नचिह्न पर
स्पर्श होने की ख्वाहिश
मन में, भावनाओं में
गंग – सी बहना प्रिय मुझे।
बिन्दुत्व मिलन को है
प्रणत्व नव्यसृजन चले ओर
मैं और तू संगम को
दो विपरीत शरीर प्रिय मुझे।
तू प्रिय मैं तेरी प्रियवर
तन्हां गंधर्व इनके कौन!
तेरी मेरी तड़प द्विउर में है
तुझे, तुझमें में पाना प्रिय मुझे।