कविता
कर देती सब दर्द कम
मेरे गाँव की सोंधी मिट्टी
खुशिया लेती हैं हिलोर
जब बापू की आये चिट्ठी
ना मुझे डर ना कोई चिंता
खेले हम कंकड़ और गिट्टी
कर देती सब दर्द कम
मेरे गाँव की सोंधी मिट्टी
थोड़ी सी हों अनबन अपनी
कहते हम है तुमसे कट्टी
खुब प्यार से सभी बुलाते
आओ गोलू आओ बिट्टी
ना ढाबा ना होता होटल
दावत में होता चोखा लिट्टी
कर देती सब दर्द कम
मेरे गांव की सोंधी मिट्टी
कैप्टन अजय मौर्या।