कविता
किसान
आओ श्रमवीर और गंभीर
भारत के तुम हो किसान
शीत ताप वर्षा सहते तुम
सहते आंधी और तूफान
संघर्षों से ही जीवन जीते
दूर करते मन का अज्ञान
खेतों में पसीना बहाकर
तुम बन जाते हो महान
ओलावृष्टि हो या पाला
लू चले पर न घबराना
बढ़े चलो व बढ़ते रहो
पीठ न पीछे दिखाना
कवि राजेश पुरोहित
भवानीमंडी