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5 Apr 2018 · 1 min read

कविता

आरक्षण की आग

आरक्षण की आग में जातियाँ झुलस रही
बंद, हड़ताल, प्रदर्शन से जनता तरस रही
भारत की एकता अखण्डता कैसे रहे अब
जाति, धर्म के झगड़ों में लाठियाँ बरस रही

इंटरनेट युग

जन जीवन अस्त व्यस्त हो गया देखिये
आरक्षण की माँग में देश व्यस्त हो गया
फुरसत नहीं है लोगों को बात करने की
इंटरनेट के युग मे इंसान मस्त हो गया

बाबाओं पर लगा शनि

देश में बाबा रोज गलत काम कर रहे
अखबारों में रोज ही कारनामें छप रहे
लगता है इन बाबाओं को शनि लगा है
मुखपृष्ठ अखबारों के रोज ये भर रहे

चुनाव का मौसम

लो आ गया फिर चुनाव का मौसम
नेता का जनता से मिलने का मौसम
झूंठे वादे व प्रलोभन देने का मौसम
साड़ी कम्बल बांटने का आया मौसम

कवि राजेश पुरोहित

Language: Hindi
515 Views
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