कविता
शुभ प्रेरक तत्त्व समाहित हों जिसमे कुछ अर्थ महान दिखेI
अति सीमित शब्द असीमित भाव लिए गणबद्ध विधान दिखेI
गुणगौरव हो जिसमे प्रभु का शुचि मानवता हित ज्ञान दिखेI
कविता वह है जिसमे कवि के मन प्राण दिखें पहचान दिखेII
रचनाकार
डॉ आशुतोष वाजपेयी
ज्योतिषाचार्य
लखनऊ