कविता
हिंदी दिवस कविता
सरल होते हैं सब बोल हमारे,
जब किसी बात को हम हिंदी में कहते हैं।
और हम सबको लगे यह जानी,
जब हर अक्षर इसका हम पढ़ते हैं।
हमें अभियान होना चाहिए अक्षरौटी में इसकी,
विकट होते हुए भी हम इसे सुलभ समझते हैं।
हो रही है हमे अत्यंत प्रसन्नता
जब हर अक्षर इसका हम पढ़ते हैं।
लगता सहज हमारे भेद और पुराण,
जब भी इन्हें हम हिंदी में पढ़ते या सुनते हैं।
किसी प्रकार का संदेह न रह जाता है अंतस में,
हर कथनों को अभिप्रायों के साथ समझते हैं।
देख भाषा की एक अपनी तर्ज होती है,
हम हिंदी को एक अपनी रीति समझते हैं।
सरल होते सब बोल हमारे,
जब किसी बात को हम हिंदी में कहते हैं।
स्वरचित रचना
सर्वाधिकार सुरक्षित
शिव यादव
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