कविता
शिक्षा
आत्मबोध व स्वाभिमान का
ज्ञान कराये वो शिक्षा,
मानवता का मानव को
ज्ञान कराये वो शिक्षा ।
पढ़ लिख कर बस धन अर्जन
और स्वार्थ भाव से प्रेरित हो
नहीं काम की,इस समाज के
काम न आये वो शिक्षा ।
दया,धर्म,वक्षमा,क्रोध का
कैसे कहां करे उपयोग
स्वयं की गरिमा और शक्ति का
बोध कराये वो शिक्षा ।
बच्चे और बुजुर्ग के बीच
मध्य रहे सेतु बनकर
घर परिवार समाज को प्रेम से
राह दिखाये वो शिक्षा।
उन्नति और विकास के पथ पर
नींव की ईंट बने बढकर
सोचें श्रेष्ठ बने ये जीवन
क्षण न गवाये वो शिक्षा ।
तीर कमान से बात जुबां से
निकल के वापिस आती न
बात जो समझे प्रेम से
सबसे मिले मिलाये वो शिक्षा ।
नमिता शर्मा