कविता
अगर तुम न होते (मुक्तक)
अगर तुम न होते कहीं मैं न होता।
कसम से तुम्हारी कहीं का न होता।
हृदय में बसे हो यही जानता हूँ।
न मिलते अगर तो कहाँ प्राण होता।।
मधुर रस पिला मोहते तुम रहे हो।
दया दृष्टि डाले छलकते रहे हो।
तुम्हारी कहानी सुहानी रहेगी।
सहज प्रेम में बाँध हँसते रहे हो।।
तुम्हारे बिना अब न जीना सरल है।
लगेगा न जीवन कभी भी तरल है।
रहो साथ प्यारे कहीं भी न जाना।
तुम्हारे बिना जिंदगी ये ग़रल है।।
साहित्यकार डॉ0 रामबली मिश्र वाराणसी।