कविता
लगजा गले से यार,तुझे प्यार की कसम|||
शायद बिछड़ के आज,कभी फिर मिलें न हम||
शायद ये रात लौटकर,फिर न आयेगी||
प्यार की ये रितु पलट कर,फिर न आयेगी||
क्या पता फिर साथ अपना,हो न हो सनम||
लगजा गले से यार तुझे प्यार की कसम|||
रोलूं मै फूट-फूट कर,आखिरी तुझे लिपट||
आ मसीहा वक्त कम,जाये न जिंदगी सिमट|||
ढल तो जाए आंसुओ में,आज दिल का गम||
लगजा गले से यार तुझे प्यार की कसम||
जलती है आज प्यार की,शम्मा करीब में||
भरले तू रोशनी सनम,अपने नसीब में||
आजा करीब तोड़ न दें,हसरतें ये दम||
लगजा गले से यार तुझे प्यार की कसम||