Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
26 May 2023 · 1 min read

कविता

श्रद्धा हो या हो निकिता
क्यों बहकावे में आती हो.
तुम शक्ति हो तुम हो स्वधा.
क्यों यूं निर्बल बन जाती हो.
जब संवेदित हैं सारी इन्द्री.
और छठी इन्द्री भी पास तेरे..
तब क्यों भावों मे बहकर के
तुम प्रेम विवश हो जाती हो ..
तुम सीता के वंशज से हो
पावन निर्मल सी बहो सदा.
क्यों रावण राम मे अब तक भी
तुम भेद नही कर पाती हो.,
क्यों संस्कारों को त्याग के तुम
परिणय का मान नहीं करती.
परिणय से पहले क्यों तुम यूं
परपुरुष के संग रह पाती हो.
छल करती हो मां बाबा से
मन के हर भेद छुपाती हो.
क्यों बहकावे में आती हो.
क्यों बहकावे मे आती हो.
तुम भटक रही तुम उलझ रही.
तुम समझो और सँभल जाओ.
आकाश छुओ ,उड़ो ऊँचा..
पर धरती का मत त्याग करों
है भारत की भूमि पावन.
इसके गौरव का मान करो.
पश्चिम से होकर के लोभित
क्यों कलुषता अपनाती हो..
विश्वास न करो नहीं कहती
लेकिन न अंधविश्वास करो..
जीवन को सरल बनाने मे
तुम और कठिन न राह करो
जागों जागों मन से जागों ..
कुइच्छाओं का त्याग करो
संक्षिप्त मार्ग के चक्कर में.
अब और न जीवन से भागो.
अब और न जीवन से भागों.
मनीषा जोशी मनी..

224 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
कहते- कहते रह गया,
कहते- कहते रह गया,
sushil sarna
மழையின் சத்தத்தில்
மழையின் சத்தத்தில்
Otteri Selvakumar
*प्रभो हमें दो वह साहस हम, विजय दुष्ट पर पाऍं (गीत)*
*प्रभो हमें दो वह साहस हम, विजय दुष्ट पर पाऍं (गीत)*
Ravi Prakash
नाहक ही ख्वाब में जी कर क्या करेंगे ,
नाहक ही ख्वाब में जी कर क्या करेंगे ,
ओनिका सेतिया 'अनु '
आज के बच्चों की बदलती दुनिया
आज के बच्चों की बदलती दुनिया
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
याद आती हैं मां
याद आती हैं मां
Neeraj Agarwal
विचार
विचार
Godambari Negi
पर्यावरणीय सजगता और सतत् विकास ही पर्यावरण संरक्षण के आधार
पर्यावरणीय सजगता और सतत् विकास ही पर्यावरण संरक्षण के आधार
डॉ०प्रदीप कुमार दीप
बैठी थी मैं सजन सँग कुछ कह के मुस्कुराए ,
बैठी थी मैं सजन सँग कुछ कह के मुस्कुराए ,
Neelofar Khan
मज़हब नहीं सिखता बैर
मज़हब नहीं सिखता बैर
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
पंडित मदनमोहन मालवीय
पंडित मदनमोहन मालवीय
नूरफातिमा खातून नूरी
लघुकथा -
लघुकथा - "कनेर के फूल"
Dr Tabassum Jahan
4320.💐 *पूर्णिका* 💐
4320.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
रिश्तों का बदलता स्वरूप
रिश्तों का बदलता स्वरूप
पूर्वार्थ
निगाहें मिलाके सितम ढाने वाले ।
निगाहें मिलाके सितम ढाने वाले ।
Phool gufran
त्योहारों का देश
त्योहारों का देश
surenderpal vaidya
किस जरूरत को दबाऊ किस को पूरा कर लू
किस जरूरत को दबाऊ किस को पूरा कर लू
शेखर सिंह
दो सीटें ऐसी होनी चाहिए, जहाँ से भाई-बहन दोनों निर्विरोध निर
दो सीटें ऐसी होनी चाहिए, जहाँ से भाई-बहन दोनों निर्विरोध निर
*प्रणय प्रभात*
नदियां
नदियां
manjula chauhan
जिस सफर पर तुमको था इतना गुमां
जिस सफर पर तुमको था इतना गुमां
©️ दामिनी नारायण सिंह
रोना ना तुम।
रोना ना तुम।
Taj Mohammad
ପିଲାଦିନ ସଞ୍ଜ ସକାଳ
ପିଲାଦିନ ସଞ୍ଜ ସକାଳ
Bidyadhar Mantry
Dr arun kumar शास्त्री
Dr arun kumar शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
बाद मुद्दत के हम मिल रहे हैं
बाद मुद्दत के हम मिल रहे हैं
Dr Archana Gupta
वाल्मिकी का अन्याय
वाल्मिकी का अन्याय
Manju Singh
हर रिश्ता
हर रिश्ता
Dr fauzia Naseem shad
प्रहरी नित जागता है
प्रहरी नित जागता है
हिमांशु बडोनी (दयानिधि)
आवाजें
आवाजें
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
'सर्वे नागा: प्रीयन्तां मे ये केचित् पृथ्वीतले। ये च हेलिमरी
'सर्वे नागा: प्रीयन्तां मे ये केचित् पृथ्वीतले। ये च हेलिमरी
Shashi kala vyas
"दुःख-सुख"
Dr. Kishan tandon kranti
Loading...