कविता
मुद्दत बाद
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पहचाने हुए रास्ते
कितने बदल जाते हैं,
मुद्दत बाद चलो तो
फिर नए से लगते हैं ।
वक्त मिटा देता है
सारे पहचाने निशान,
मुद्दत बाद मिलो तो
बड़े अनजाने लगते हैं ।
बचपन में देखे सपने
कुछ दबे हुए जज्बात,
मुद्दत बाद कहो तो
बड़े फ़ानी से लगते हैं ।
आँखों में कैद आँसू
दिल में जमी बर्फ
मुद्दत बाद बहें तो
पुरसुकून से लगते हैं ।।
इला सिंह
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