कविता
ध्रुव पंक्ति –उम्मीदों का सूर्य उगाएँ, आओ सबके जीवन में ।
मात्रा— 16,14
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मन का हर कोना चमकाएँ,तमस जाल है जन-जन में।
उम्मीदों का सूर्य उगाएँ, आओ सबके जीवन में।।
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फूलों जैसे हरषो नित ही, काँटों से मत घबराना।
रंग चुरा कर प्यारे न्यारे, सपनें तुम खूब सजाना।।
आशा का ही संबल पाकर,कलियाँ खिलती उपवन में।
उम्मीदों का सूर्य उगाएँ, आओ सबके जीवन में।।
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आसमान में टिम टिम तारे, चमक चमक मुस्काते हैं।
खुश रहना है सदा सिखाते,जीवन गाथा दुहराते हैं।।
देव दिशा का वह ध्रुव तारा,राह दिखाएँ जो नभ में।
उम्मीदों का सूर्य उगाएँ, आओ सबके जीवन में।।
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कल-कल करती बहती नदियाँ,
कर्म ध्येय अपनाती है।
चलते जाना पथ पर आगे ,बढ़ना सदा सिखाती हैं।।
मानव जीवन अनुगामी है, सीख बनी है जन-जन में।
उम्मीदों का सूर्य उगाएँ, आओ सबके जीवन में।।
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ऊँचे -ऊँचे पर्वत कहते, समझो निज दुनियाँ सारी।
मानवता का मान करें सब,सोच उच्च हो सदा हमारी।।
दीनन को हम गले लगाएँ,दया भाव हो हर जन में।
उम्मीदों का सूर्य उगाएँ, आओ सबके जीवन में।।
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शीला सिंह बिलासपुर हिमाचल प्रदेश 🙏