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26 Nov 2022 · 1 min read

यारी

क्या ऐसी यारी होती है ?
इतनी गद्दारी होती है
किसको अपना मान लिया,
मन में अपने ही ठान लिया।
दो गाड़ी पर पैर रखे,
क्या यही सवारी होती है ? ॥
विश्वास किसी पर न करिये,
बस ध्यान प्रभू का ही धरिये।
छिटक गये कितने अपने,
उम्मीद ये न्यारी होती है।
क्या ऐसी यारी होती है..?

दादे बाबों का कहा सुना,
न माना उनका कढा बुना।
छुपकर के जैसे सीखे तुम,
वैसी तैयारी होती है।।

“हाँ । ऐसी यारी होती है,
न ये गद्दारी होती है…!

©® अमरेश मिश्र ”सरल”

Language: Hindi
17 Likes · 10 Comments · 457 Views
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